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भारतीय इतिहास के पन्नों को उठाकर देखेंगे, तो आपको कई शासकों का नाम मिलेगा, जिन्होंने कई सालों तक भारत में शासन किया। इस दौरान उन्होंने भारत में कई ऐसी चीजें का निर्माण कराया, जो कि भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गई।

इन्हीं में कोस मीनार भी शामिल है। जब भी आपने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर सफर किया होगा, तो आपने जरूर सड़क किनारे बनी इन मीनारों को देखा होगा। वहीं, यदि आप दिल्ली के चिड़ियाघर गए होंगे, तब भी आपने बीचों-बीच बनी इस मीनार को देखा होगा।

हालांकि, क्या आपको पता है कि भारतीय इतिहास में दर्ज इस मीनार का महत्व क्या है, जो कि कभी राहगीरों को आगरा से लाहौर तक ले जाती थी। इस लेख के माध्यम से हम भारत में मौजूद इन मीनारों के बारे में जानेंगे। 

इस रूट पर बनाई गई थी कोस मीनार

कोस मीनार का निर्माण मध्यकालीन भारत में आज के जीटी रोड के किनारे किया गया था, जो कि उस समय का रॉयल रूट हुआ करता था।

उस समय आगरा से लाहौर और आगरा से अजमेर व अजमेर से मांडू तक जाने के लिए सड़क के किनारे इन मीनारों को बनाया गया था।

क्या है मीनार का इतिहास

तीसरी सदी में देश में मौर्य वंश का शासन था, तब अशोका की राजधानी पाटलीपुत्र हुआ करती थी। उस समय पाटलीपुत्र से ढाका, काबुल और पेशावर जाने के लिए रास्तों के किनारे पर पेड़, मिट्टी की मीनार और कुएं बनाए जाते थे।

वहीं, 16वीं सदी में शेर शाह सूरी ने पहली बार इन मीनारों को बनाने की कल्पना की, जिसके बाद उन्होंने  रॉयल रूट पर इन मीनारों का निर्माण कराया।

वहीं, अबुल फजल ने अकबरनामा में लिखा है कि अकबर ने आगरा से अजमेर जाने के लिए रास्ते पर हर कोस पर एक मीनार बनाने का आदेश जारी किया था।

इसके बाद शाहजहां द्वारा भी कई कोस मीनार का निर्माण किया गया। 

इस तरह इस्तेमाल से हो गई बाहर

रत में जब ब्रिटिश ने शासन शुरू किया, तो उन्होंने इंपिरियल यूनिट को लांच किया। इसके बाद से दूरी मापने के लिए कोस की जरूरत कम पड़ गई और धीरे-धीरे यह इस्तेमाल से बाहर हो गई।

वर्तमान में कुल 110 कोस मीनार बची हुई हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक, भारत में हरियाणा राज्य में 49 कोस मीनार,जालंधर में सात और लुधियाना में पांच कोस मीनार है। इसके अलावा कुछ कोस मीनार लाहौर में भी देखने को मिलती हैं। 

क्या होता है कोस का मतलब

आपको बता दें कि यहां कोस का मतलब दूरी से होता है। एक कोस में 3.22 किलोमीटर की दूरी होती है

वहीं, मीनार एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका इस्तेमाल टॉवर के लिए किया जाता है। ऐसे में पुराने समय में कोस मीनार की मदद से लोग दूरी का अंदाजा लगाते थे। 

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