
अमेरिकी कमर्शियल बैंक, सिलिकॉन वैली बैंक के बंद होने की खबर आज-कल काफी चर्चा में है. इस घटना ने पूरे विश्व के आर्थिक तंत्र को अस्थिर कर दिया है. भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम पर भी इसका असर देखा जा रहा है.
‘बैंक रन’ के कारण बंद हुआ सिलिकॉन वैली बैंक:
अमेरिकी सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के बंद होने के पीछे यही कारण था जिसके चलते सिलिकॉन वैली बैंक 48 घंटों में बंद हो गया. सिलिकॉन वैली बैंक द्वारा प्रतिभूतियों की बिक्री में भारी नुकसान के खुलासे के बाद इस बैंक के ग्राहकों ने $42 बिलियन की धनराशि निकाल ली और अंततः बैंक को बंद कर दिया
क्या होता है ‘बैंक रन’?
आर्थिक परिप्रेक्ष्य में ‘बैंक रन’ वह स्थिति होती है, जब बैंक या किसी वित्तीय संस्थान के दिवालिया होने के डर से, बड़ी संख्या में ग्राहक अपनी जमा धनराशि निकालने लगते है तो उस स्थिति को ‘बैंक रन’ कहा जाता है. एक ‘बैंक रन’ आम तौर पर वास्तविक दिवालियापन की सामान्य घटना के बजाय घबराहट का परिणाम होता है.
जैसे-जैसे अधिक लोग अपने फंड को निकालते हैं, डिफॉल्ट की संभावना बढ़ती जाती है, यह स्थिति और अधिक लोगों को अपनी जमा राशि निकालने के लिए प्रेरित करती है. इस स्थिति में निकासी को कवर करने के लिए बैंक के पास पर्याप्त फंड नहीं रहते है और बैंक या वित्तीय संस्थान को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है. बैंक आम तौर पर नकदी के रूप में जमा का केवल एक छोटा प्रतिशत ही रखते हैं.
जानें साइलेंट बैंक रन क्या है?
साइलेंट बैंक रन उस स्थिति को कहते है जब ग्राहक व्यक्तिगत रूप के बजाय इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के माध्यम से धनराशि निकालने लगते है. वैसे बैंक रन का इतिहास काफी पुराना है, ग्रेट डिप्रेशन और 2008-09 के वित्तीय संकट सहित इतिहास में कई बैंक रन की घटना हुई है. अमेरिका में बैंक रन की घटना के कारण, वर्ष 1933 में फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की स्थापना की गयी थी.
‘बैंक रन’ का नकारात्मक प्रभाव:
‘बैंक रन’ किसी भी फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशन या बैंक के लिए नेगेटिव इम्पैक्ट प्रस्तुत करता है साथ ही यह बैंकों के लिए नेगेटिव फीडबैक लूप बनाता है जो बैंक को दिवालियापन के कगार पर ला सकता है.
यदि बैंक के सभी ग्राहक बैंक से एक साथ अपने पैसो की मांग करते है तो बैंक के पास जमाकर्ताओं को वापस करने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है.
यूके की मेट्रोबैंक का केस:
आखिरी रिपोर्टेड बैंक रन 2019 के मई में हुआ था जब सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप पर झूठी अफवाहें फैली थीं कि यूके स्थित मेट्रोबैंक ग्राहकों की संपत्ति और जमा धनराशि को जब्त करने की कोशिश कर रही है, तब ग्राहकों ने अपने पैसे निकालने शुरू कर दिए थे.